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बस का सफ़र
#71
Episode 10 : Part I

"रश्मि मैडम के साथ सबसे जादा मज़ा आया। जमशेदपुर में उनके यहां नौकर का काम करते थे। घर दोनों मियां बीबी और एक पांच साल का बच्चा था।"

"तो उसी के बारे में बताओ।"

"क्या बताएं?"

"यही कि कैसे किया उसके साथ?"

“क्या कैसे किएं? ठीक से पूछिए न?" बुड्ढा नीता को चिढ़ा रहा था।

"ओह हो! कैसे चोदा उसे?" इस बार नीता बिल्कुल भी नहीं झिझकी।

"वैसे ही चोदे जैसे सब चोदते हैं। खोल के पेल दिए अंदर।"

"धत्त बेशर्म! ये थोड़े ही पूछ रही हूं। ये पूछ रही हूं कि उसको पटाया कैसे?"

"सारे मज़े आप ही लीजिएगा? यहां गोद में आइए त बताते हैं।" बुड्ढा बिना कुछ लिए नीता को कुछ नहीं देने वाला था।

"यहीं से बताओ न!" नीता की आवाज़ में दृढ़ता नहीं थी। वो कहानी सुनना चाहती थी जो उसके अंदर के अपराध बोध को निरस्त कर दे। साथ साथ वो मस्ती के मूड में भी आ रही थी। नीता को जिस आनंद की अनुभूति बुड्ढे ने उसकी चूत चूस कर दिया था वो उस आनंद को पाने के लिए फिर से मचल रही थी।

"आप सुन कर मज़ा लेंगी, और हम?" बुड्ढा अब पूरी तरह से खुल चुका था। अपने शब्दों से बुड्ढा अपने परोक्ष इरादे को प्रत्यक्ष कर रहा था। बुड्ढे ने बस के सीट पर पीठ को टीका कर अपना दोनो पैर फैला दिया। दोनों टांगों के बीच आधे काले आधे सफेद बालों की झाड़ के बीच बुड्ढे का मीनार अपनी पूरी लंबाई लिए नीता को आमंत्रण दे रहा था।

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बस का सफर
संध्या की दास्तान | खण्ड १ : उदय
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#72
गरमा गर्म अपडेट भाई जान!
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#73
Episode 10 : Part II

"ठीक है, पर कुछ करोगे तो नहीं?" नीता ने शर्म और वासना मिली हुई नज़रों से बुड्ढे की लंड को देखा और खिसक कर बुड्ढे की गोद के पास आ गई।

"नहीं करेंगे तो गोद में बुला कर क्या करेंगे?" नीता के आत्म संयम की ढहती दीवारों को बुड्ढा भांप चुका था। बुड्ढे ने नीता की पेट पर हाथ रख उसे पीछे खींचा और अपने लंड से नीता की मखमली गांड और पीठ को सटा कर अपने लंड को दबाया।

"आउच!! ठीक से रखो न उसे। चुभता है।"

बुड्ढे के दोनों हाथ नीता के दोनों रसमलाई से रस निचोड़ने में लग चुके थे। "क्या चुभता है मैडम जी?"

“तुम्हारा केला।"

बुड्ढे ने नीता के निप्पल को मसलते हुए कहा "केला नहीं है, हमारा लंड है।"

"हां वही।"

बुड्ढे ने फिर से लंड दबाया "वही नहीं, लंड बोल इसको।" बुड्ढे की शब्दों में से आदर सूचक 'बोलिए' गायब हो चुका था। 

नीता को ये अजीब ज़रूर लगा, पर बुरा नहीं लगा। बुड्ढे के लंड की गर्मी और अपने चूचियों पर उसके हाथों के प्रभाव ने नीता की उत्तेजना को बढ़ा दिया था। "तुम्हारा लंड चुभ रहा है।" लंड शब्द का प्रयोग नीता पहली बार कर रही थी। उसकी चूत धधक उठी। अब उसका दिखावटी शराफत का कपड़ा भी धीरे धीरे उतरने लगा था।

बुड्ढे ने उसकी गांड पर लंड को फिर से दबाया "कहां चुभ रहा है रानी?" उफ्फ! बुड्ढा उसे बेकाबू कर रहा था। उसके हाथ, उसका लंड, और उसके शब्द सब मानो एक साथ नीता के जिस्म में घुस रहे हो। मानो उसका सामूहिक बलात्कार हो रहा हो, और वो विवश हो अपना बलात्कार होता देख रही हो। पर इस बलात्कार में नीता को मज़ा आ रहा था।

"मेरी गांड में चुभ रहा है।" ये नीता की दिखावटी शराफत का ब्रा था! "अब बताओ न कैसे पटाया उसे? वो दिखने में कैसी थी? जब उसे चोदा था तब क्या उम्र थी उसकी?" नीता नंगी हो रही थी और नंगेपन में उसे मज़ा आ रहा था।


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संध्या की दास्तान | खण्ड १ : उदय
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#74
Episode 10 : Part III

"बहुत टाइट आईटम थी साली। पहली बार ठोके थे तब 27-28 की होगी।" बुड्ढे का एक हाथ नीता की चूची में लगा हुआ था तो दूसरा सरक कर नीचे उसकी चूत की तरफ़ बढ़ा जा रहा था। नीता को अब बुड्ढे के हाथ की कोई परवाह नहीं थी, उसकी जहां इच्छा ले जाय।

"पटाया कैसे उसे?"

"दू साल से उसके यहां काम कर रहे थे। हमको मोनू चच्चा कह कर बुलाती थी। दोनों मिल कर घर का काम करते थे। बहुत लापरवाह थी। न कपड़ा-लत्ता का ठिकान न देह का ठिकान। आंचल सरक कर नीचे गिर जाता त गिरले रहने देती। कभी कभी नाइटी में ही रहती। उसका देह बहुत टाइट था। बड़ा बड़ा चूची, मस्त गांड। दिन में जब उसका लड़का स्कूल जाता तब ऊ थोड़ा देर सोती थी, बिल्कुल बेपरवाह होकर। दरवाज़ा खुला हुआ, कभी सारी सरक कर ऊपर रहता, कभी ब्लाउज का बटन खुला रहता, कभी नाइटी पंखा से उड़ कर इतना ऊपर चला जाता की काछिया तक दिखता था। जब सोयी रहती त हम उसके रूम में घुस कर उसका गांड देखते। बेहोश की तरह सोती थी। एक दो बार हम उसको छुए भी लेकिन डर लगता था। छोटे आदमी हैं, शिकायत कर दी त नोकरी त जयबे करेगा, जो थोड़ा मोड़ा मज़ा मिल रहा ऊ हो नहीं मिलेगा।" बुड्ढे का हाथ नीता की चूत तक पहुंच चूत के मुहाने को टटोल रहा था।

"ईस्स्स!!! ये बताओ न कि पहली बार कैसे पटाया उसे?" नीता बेसब्र हो रही थी।

"मालिक इंजिनियर थे। उनका रांची में कोई काम था। उ रांची में रहते थे, शनिचर और इतवार को जमशेपुर आते थे। एक दिन उसका तबीयत खराब था। मालिक रांची में थे, उनको छुट्टी नहीं मिल रहा था। मालकिन इससे गुस्से में थी और रो रही थी। हम उनके कमरे में जाकर पूछे तो बोली कमर दुख रहा है। हम बोले मालिश कर दें? पहले तो थोड़ा बहुत नखरा की, फिर मान गई। उसके बाद से अकसर हम उसका मालिश करते थे। पीठ का मालिश करते समय मन त बहुत करता था उसका गांड दबाने का, पर हिम्मत नहीं होता था। एक दिन हम गांड पर हाथ रख दिए। मालकिन कुछ नहीं बोली त हम थोड़ा दबा दिए, फिर भी कुछ नहीं बोली। उसके बाद से हम उसका गांड मसलने लगे। शायद उ भी मज़ा लेती होगी। एक दिन उ नाइटी में थी, पूरा जांघ नंगा था। देख कर ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया। मन कर रहा था कि वहीं गांड में पेल दें।" बुड्ढे ने नीता की चूत में अपना उंगली पेल दिया।

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संध्या की दास्तान | खण्ड १ : उदय
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#75
Update kab doge?
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#76
Hello??? Update???
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#77
Update bro
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#78
आगे की कहानी बताओ भाई?
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#79
Episode 10 : Part IV

"आऽऽऽह! फिर?"

बुड्ढे ने नीता की गर्दन पर अपने होंठों को रखा। नीता को आगे जानना था, बुड्ढा मौके का फायदा उठा रहा था। "मालिश करना शुरू किए, धीरे धीरे नाइटी ऊपर सरका दिए। काला कछिया में गोरा गांड! हमरा एक कमजोरी है, गांड देखने के बाद हमसे बर्दाश्त नहीं होता। हमको चोदने का मन करता है। आपका भी पहले गांड देखे थे न, जब आप पेशाब कर रही थी बस अड्डा पर। तभी से आपके गांड में बांस करने का मन कर रहा है।" बुड्ढे ने नीता की गांड पर अपने बांस को ज़ोर से दबाया।

"मत करो न! चुभता है।" नीता के शब्द भले ही विरोध कर रहे हों, पर उसकी आवाज़ में अनुमति थी। बुड्ढे ने अपने जीभ से नीता की गर्दन को चाटा। "उफ्फ! फिर क्या हुआ? बताओ न?"

"पहले तो गांड को मसले, वो कुछ नहीं बोली। फिर हम जोश में आकर कच्छिया में हाथ घुसा दिए। ऊ गुस्सा हो गई, हमको डांटने लगी। हम त डर गए। रात में मालिक आने वाले थे, हमको लगा कि ऊ मेरा शिकायत कर देगी। नौकरी त जैबे‌ करेगा, कहीं पिटाई न खा जाएं। हम अपना बोरिया बिस्तर बांध लिए। निकल रहे थे त बोली कहां जा रहे हो? हम बोल दिए कि काम छोड़ रहे हैं। ऊ बोली नहीं जाने के लिए और ये कि मालिक से शिकायत नहीं करेगी। फिर मुस्कुराते हुए बोली कि तुम चले जाओगे तो मालिश कौन करेगा? उसके चेहरे से ही समझ में आ गया कि ऊ चुदवाने के लिए तैयार है। हमको त मन किया कि अभी पकड़ कर चोद दें साली को। लेकिन सबर का फल मीठा होता है।"

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संध्या की दास्तान | खण्ड १ : उदय
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#80
Wow! Hot story ???
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