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बस का सफ़र
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09-01-2021, 07:33 PM
Episode 9 : Part II
"क्या बताएं?" नीता को चिढ़ाने में बुड्ढे को मज़ा आ रहा था। "यही कि कितने औरतों के साथ तजुर्बा है तुम्हारा?"
"कैसा तजुर्बा?"
"अरे! अभी कहा न तुमने कि कई औरतों के साथ तजुर्बा किया है?"
"हां किए हैं। लेकिन तजुर्बा त कितना तरह का होता है। किसी के साथ बात करने का तजुर्बा है, किसी के लिए काम करने का तजुर्बा है। आप कोन तजुर्बा पूछ रही हैं?"
"बहुत शैतान हो तुम! बातें मत बनाओ, सीधा सीधा बताओ।"
"आप सीधे सीधे पूछिएगा तब त हम सीधे सीधे बताएंगे? आप घुमा फिरा कर पूछ रही हैं। हमको नहीं समझ में आ रहा।"
"बहुत बदमाश हो तुम! तुमने कितनों के साथ किया है?"
"क्या किए हैं?" बुड्ढा नीता के लाज धाक को नेस्तनाबूद कर देना ठान चुका था।
"स...स..सेक्स किया है?" कॉलेज के बाद नीता शायद पहली बार 'सेक्स' बोल रही थी। उसे ये शब्द बोलने के लिए काफी प्रयास करना पड़ा था। उसकी जुबान कांपने लगी थी, उसकी धड़कनें बढ़ गईं थीं।
"मैडम जी, पढ़े लिखे थोड़े ही हैं। अंग्रेजी नहीं समझते हैं। हिंदी में न बताइए।"
नीता ने बहुत कोशिश की पर जुबान उसका साथ नहीं दे रहा था। "बहुत दुष्ट हो! मुझे हिंदी नहीं आती।"
"हम समझेंगे तब न बताएंगे?"
"तुम्हे स..सेक्स मतलब नहीं पता?" इस बार नीता को 'सेक्स' बोलने में उतनी कठिनाई नहीं हुई।
"नहीं मैडम जी। गांव देहात में रहे हैं, अंग्रेजी साफे नहीं आता है।" बुड्ढे के चेहरे पर बेशर्मी भरी मुस्कुराहट थी।
"च….च..चोदे हो?" नीता ने बहुत प्रयत्न करने के बाद कहा। उसकी सांसे तेज़ हो चुकी थी। "ई हुआ न बात! अब फिर से पूरा सवाल पूछिए।" इस उपन्यास को अमेज़न पर मुफ्त में पढ़ा जा सकता है। लिंक नीचे दिया गया है। https://amzn.to/3lJAvBO
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09-01-2021, 09:17 PM
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10-01-2021, 11:12 PM
Episode 9 : Part III
नीता बोलने में झिझक जरूर रही थी पर उसे मजा भी आ रहा था। इन शब्दों को, जिसे वो बचपन से गंदा और बुरा मानती आई है, जो हमेशा आवारा, बदमाश और सड़क छाप लोगों की बोली होती है, उसे बोलने पर जिस उत्तेजना का अनुभव नीता आज कर रही थी वो उसने पहले कभी नहीं किया था। "तुम अब तक कितनी औरतों को चोद चुके हो?" इस बार नीता की आवाज में झिझक कम थी। तन के बाद अब नीता मन से भी नंगी हो रही थी। जिस तरह का हल्कापन नीता को कपड़ा उतारने के बाद महसूस हुआ था, वैसा ही हल्कापन वो अपने मन पर के कपड़े को उतार कर महसूस कर रही थी। आनंद, उत्तेजना और वासना का ऐसा मिश्रण! ये सच में अनूठा था। "मैडम जी, चोदे त बहुत को हैं। लेकिन रण्डी सब को हटा के देखिएगा त कम से कम बारह - तेरह को त चोदिये दिए होंगे।”
“बाप रे! तुम्हे इतनी औरत मिल कहाँ से गई?”
“सब औरत नहीं थी। कुछ कुंवारी लड़की भी थी। चार पांच कुंवारी होगी, बांकी शादीशुदा। “
“पर इतनी मिली कहाँ?”
“अरे मैडम जी, 30 साल से चोद रहे हैं। अब अइसन भी नामर्द न हैं कि तीस साल में बारह तेरह को भी नहीं चोदे। तीन -चार गांव में, फिर शहर में जब नौकर या ड्राइवर का काम करते थे तो कभी मालिक की बीबी, कभी मालिक की बहु तो कभी मालिक की बेटी और कभी घर की नौकरानी। देखिये मैडम जी, आप बुरा नहीं मानियेगा। लेकिन, ई जो शहर के शरीफ लोग होते हैं न, घर के अंदर उनमे कितनी गंदगी होती है ये हमसे अच्छा कोनो नहीं बता सकता। एक मालिक की बीबी त कम से कम चार पांच लोगों से चुदवाती थी। हम उसके ड्राइवर थे। मालिक हमेशा शहर के बाहर रहते थे। वो अपने यार सब से होटल में जा कर चुदवाती थी। एक बार हम देख लिए। हमको बोली किसी को नहीं बताने के लिए। अब हम अइसन मौका काहे छोड़ते?” इस उपन्यास को अमेज़न पर मुफ्त में पढ़ा जा सकता है। लिंक नीचे दिया गया है। https://amzn.to/3lJAvBO
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12-01-2021, 07:39 AM
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13-01-2021, 09:23 AM
Episode 9 : Part IV
“मतलब?” बुड्ढे की झूठी सच्ची कहानियों ने नीता की चूत को गुदगुदा दिया था। “मतलब क्या? इसके बाद आठ महीना हफ्ता में दू-तीन बार उसको चोदते थे। बिस्वास कीजियेगा? एक बार त घर में मालिक बैठे हुए थे और हम गेराज में हम उसको चोद रहे थे। जब मालिक को शक होने लगा त हम नौकरी छोड़ दिए।”
नीता का चूत कहानी सुन कर मचल गया था। वो और विस्तार में सुनना चाहती थी। “और बाँकी औरतें?”
“मैडम जी, सबके बारे में बताएँगे न त पूरा उमर बीत जायेगा कहानी सुनाते सुनाते।”
“सबसे अधिक मज़ा किसके साथ आया?” इस उपन्यास को अमेज़न पर मुफ्त में पढ़ा जा सकता है। लिंक नीचे दिया गया है। https://amzn.to/3lJAvBO
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