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संध्या की दास्तान | खण्ड १ : उदय
#21
(07-01-2021, 10:31 PM)m4masti Wrote: Hot update man!!

Thanks! ??
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संध्या की दास्तान | खण्ड १ : उदय
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#22
Nice update!
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#23
Episode 6 : Part I

पुलकित और संध्या में अच्छी पटती थी। सच पूछो तो संध्या का पूरे संसार में एक मात्र पुलकित ही था। उसी के साथ वो हंस सकती थी, खेल सकती थी। पुलकित भी संध्या से स्नेह रखता था। उसे नानी और मम्मी का संध्या की तरफ बर्ताव बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। जब भी उसे डांट पड़ती वो उसे सांत्वना देता। बड़ा होने पर तो उसने डांटने पर नानी को रोकना टोकना भी शुरू कर दिया था।

दोनों में बहुत घनिष्ठता थी। कई बार ठकुराइन ने ठाकुर जी से कहने का प्रयास किया कि जवान लड़का और लड़की में इतनी घनिष्ठता सही नहीं है। इस उम्र में कब कौन फिसल जाए नहीं कहा जा सकता। पर ठाकुर जी पूरे संसार को अपने जैसा समझते थे। उन्होंने शादी से पहले किसी लड़की की तरफ देखा तक नहीं था। उन्हें ठकुराइन की बात संध्या के विरुद्ध कान भरने की एक घटना मात्र लगी। उन्होंने एक सिरे से ठकुराइन की चिंता को नकार दिया।

इधर दोनों का यौवन उमंग ले रहा था। संध्या की चूचियां आकार लेने लगी थी। ठाकुराइन ने इस बार होली में उसके लिए तीन सेट नए कपड़े खरीदे ताकि संध्या घर में पुराने टाइट कपड़ों में न रहे। उसने 3 ब्रा भी ला कर दे दिया। पर संध्या ने ब्रा और नए कपड़ों को संभाल कर रख दिया। वो बस उन्हें पहन कर स्कूल और ट्यूशन जाती। घर में वो अभी भी फटे पुराने कपड़े ही पहनती। जब संध्या झुकती तो प्रतीत होता की उसकी चूचियां उसके कपड़ों को फ़ाड़ कर बाहर निकल आएंगी। जब वो चलती तो उसकी सलवार या लेगिंग उसकी गांड की दरारों में फंस जाता। इसे देख कर ठकुराइन विचलित हो जाती, पर फिर पुलकित की तरफ देखती। वो अपने काम में लगा रहता। उसका ध्यान संध्या की गांड की तरफ नहीं था। वो तो किताबों में छिपा कर पूरी नंगी लड़कियों की तस्वीरों को देख रहा है तो किसी स्टूडेंट के द्वारा अपने इंगलिश टीचर की चुदाई की कहानी पढ़ रहा है। कई बार तो पुलकित इन कहानियों और तस्वीरों से इतना उत्तेजित हो जाता की पैंट से बाहर लंड को निकाल लेता और उसे किताब से ढक लेता ताकि कोई न देखे। उसे अभी तक संध्या संध्या की उछलती चूची और दमकती गांड में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वो तो नई नई आई केमिस्ट्री मैडम के बारे में सोचता, क्लास की निष्ठा बारे में सोचता, ट्यूशन की कामिनी के बारे में सोचता।

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संध्या की दास्तान | खण्ड १ : उदय
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#24
Nice update!
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#25
(11-01-2021, 07:16 PM)m4masti Wrote: Nice update!

Thank you
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#26
Episode 6 : Part II

एक दिन ट्यूशन में उसने अपने सामने बैठी कामिनी की पैंटी देख ली। कामिनी अमीर बाप की बेटी थी। फैशन में टिप टॉप। स्लीवलेस टॉप, जो पूरा पेट न ढके, लो वेस्ट जींस। उसकी पैंटी थोंग थी। आज शायद कामिनी ने बेल्ट नहीं पहना था या शायद रोज बिना बेल्ट की ही आती हो। पुलकित तो पहली बार देख रहा था। कामिनी आगे झुक कर लिख रही थी और उसके पैंटी का तिकोना और उसकी गांड की गोलाईयां दिख रही थी। पुलकित की सांसे तो वहीं क्लास में ही तेज हो गई। उस दिन ट्यूशन में पढ़ाई हुई उसे इसका बिल्कुल भी होश नहीं था। घर आकर उसने अपनी गरलफ्रेंड, तकिया, को आज पूरे जोश में उसने चोदा। उत्तेजना में इतना वीर्य निकला कि मनोज उसे रोक नहीं पाया। उसके वीर्य से तकिया का खोल और बिस्तर दोनों गीला हो गया। अगले दिन सुबह अपने पापों को छिपाने के लिए पुलकित ने चुपके से चादर और तकिए के खोल को निकाल कर संध्या के कपड़ों के साथ रख दिया। स्कूल से आकर जब संध्या कपड़ा धोने लगी तो उसने धब्बे को देखा। पूछने पर पुलकित ने बात टाल दी। पर अब तक संध्या को भनक लग चुका था कि भैया का रुमाल, अंडरवियर, पैंट, बिस्तर और तकिए की खोल पर का धब्बा कैसा है।

इधर संध्या को भी सेक्स के बारे में लगभग सारी जानकारी हो चुकी थी। स्कूल में तो शायद नहीं पर ट्यूशन की नंदिता तो बिल्कुल चुदवा चुकी है। उसका बॉयफ्रेंड उससे सात साल बड़ा है। नंदिता के मम्मी पापा दोनों काम करते हैं। संध्या को संदेह है कि वो चुदाई अपने घर में ही करती है। हर दिन वो ट्यूशन अपने ब्वॉय्रेंड के साथ बाइक पर बैठ कर आती है और जिस तरह से दोनों एक दूसरे से चिपकते हैं, इसमें संध्या कोई शक नहीं कि दोनों खूब चुदाई करते हैं। निधि ने अपनी मम्मी पापा को सेक्स करते देखा है तो श्यामली को आठवीं क्लास से ही उसका स्कूल टीचर लाइन मार रहा है। चुदाई तो शायद अभी तक नहीं हुई है, पर चुम्मा चाटी सब हो चुका है। राधा का बॉयफ्रेंड 12th का है। अब तक अपने अंदर उंगली ले चुकी है। वो बोलती तो है कि सेक्स नहीं करेगी पर संध्या का मानना है कि कुछ ही दिनों में वो चुदने वाली है।
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#27
Hot update. Give us more!
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#28
Episode 6 : Part III


पर संध्या को इन बातों पर सोचने के लिए अधिक समय ही कहां मिलता है? उसे ये भी पता है उसके लिए बॉयफ्रेंड बनाना संभव नहीं। न तो उसके पास फोन है, न ही वो घर से बाहर अकेले निकल सकती है। या तो वो स्कूल जाती है या ट्यूशन और दोनों जगह उसके साथ पुलकित होता है।

दोनों की जवानी परवान तब चढ़ा जब 10th क्लास में आकर गर्मी छुट्टी हुई। दोनों शारीरिक और मानसिक रूप से चुदाई के लिए तैयार थे। पर समस्या ये थी कि न तो पुलकित ने कभी संध्या की चुदाई के बारे में सोचा था और न ही संध्या को चुदाई संभव लगता था। गर्मी की छुट्टी ने इन दोनों समीकरण को बदल दिया। स्कूल, ट्यूशन और घर का काम करने के बाद संध्या को कभी समय ही नहीं मिलता था। वो अपने जीवन में मशरूफ थी। इधर पुलकित का ध्यान कभी किताबों से निकल कर अपने समक्ष खड़ी कामना की साक्षात मूरत की तरफ नहीं जाता।

गर्मी की छुट्टियों में दोनों के पास हसने, खेलने और शरारत करने का प्रचूर समय था। गर्मी के कारण संध्या के कपड़े और छोटे हो चले थे और उम्र के कारण उसके स्तन और बड़े। कपड़ा धो कर जब संध्या बाथरूम से बाहर आई तो उसका शर्ट गीला होकर उसकी चूचियों से जा चिपका था। संध्या ने कभी इन सारी बातों का पुलकित के सामने ख्याल नहीं रखा। पर संध्या के निप्पल को देख कर पुलकित का लंड खड़ा हो गया। उसकी धड़कने बढ़ गईं, सांसे तेज़ हो गईं। कुछ करने की तो न उसने सोची और न ही उसे हिम्मत थी। वो बस अपने मस्तराम की कहानियों में फिर से लग गया। पर संध्या का गीला शर्ट, टूटे बटन और गीले शर्ट से चिपका निप्पल - ये दृश्य पुलकित के आंखों के सामने से जा ही नहीं रहा था। उसे पहली बार इस बात को एहसास हुआ था कि उसके बगल में एक लड़की है जिसके पास दो चूचियां, एक चूत और एक गांड है। ऐसी चूचियां जिसे वो चूम सकता है, चूस सकता है, जिसके साथ वो खेल सकता है। ऐसी चूत जिसमे वो उंगली डाल सकता है, जीभ डाल सकता है, लंड डाल सकता है। उसे पहली बात एहसास हुआ था कि उसकी बहन एक मस्त माल है।


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#29
??? hot update
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#30
Episode 6 : Part III

अब वो उसके बदन को नापने लगा था। उसकी थिड़कती गांड को, उसके बागी चूचियों को देखता। कल्पना करता की संध्या नंगी कैसी दिखेगी। अब उसकी तकिया गर्लफ्रेंड का नाम संध्या हो चुका था। तकिया पर लंड मसलते वो संध्या की गांड की कल्पना करता। अपने जांघों के बीच तकिया को दबा बी कर कल्पना करता की वो संध्या की जांघ है। दो तकियों के बीच में अपने सिर को छिपा कल्पना करता की संध्या की चूचियों में सिर को छिपा रखा है। अब संध्या के छूने से उसे करंट लगता था, उसकी धड़कनें तेज़ हो जाती, सांसे बेकाबू होने लगती। वो संध्या को छूना भी चाहता था और उसे छूने से डरता भी था। अब वो उससे उतना हंस नहीं पता था, उससे उतना बात नहीं कर पाता था।

पुलकित के व्यवहार से संध्या परेशान थी। उसे लग रहा था कि उसका एक मात्र साथी भी अब उससे दूर जा रहा है। अब वो भी उससे नफ़रत करने लगा है। दुनिया में अकेला पुलकित ही था जिसे संध्या की फिक्र थी, जो संध्या से सहानुभूति रखता था। संध्या पुलकित के बदलाव को झेल नहीं पा रही थी। उसे अपने हाथ से सबकुछ जाता हुआ दिख रहा था। वो डर रही थी। कई बार वो पुलकित के निकट जा कर बैठती, पर पुलकित सहम जाता। पहले पुलकित आसानी से उसका हाथ पकड़ लेता था, पर अब उसे संकोच होता। ट्यूशन से घर आते वक्त कई बार दोनों का हाथ टकराता, फिर संध्या के हाथ से लगे ठोकर का बदला लेने के लिए पुलकित संध्या के हाथ पर ठोकर मारता, और फिर उसका बदला संध्या पुलकित के हाथ पर ठोकर मार कर लेती। दोनों के बीच की ये मासूम अनुराग भारी लड़ाई पूरे रास्ते चलता। आज संध्या ने कोचिंग क्लास से लौटते वक्त जान बूझ कर पुलकित की हाथ पर अपने हाथ से ठोकर मारी। पर पुलकित संध्या से थोड़ी दूर होकर चलने लगा। संध्या की आंखों में आसूं आ गए। वो अपने भाई के खोए दुलार को फिर से पाना चाहती थी। वो फिर से पुलकित के नजदीक आना चाहती थी। पर संध्या जितना नजदीक आती पुलकित उतना दूर भागता। अब तो वो संध्या की आंखों में खुल कर देखता भी नहीं था।

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