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मेरा नाम सुमन है
#1
मेरा नाम सुमन है
Reply
#2
मेरा नाम सुमन है। मेरी उम्र 29 साल की है और मेरा एक 7 साल का बेटा है।

मैं कहाँ रहती हूं इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकती।
जब मैं 20 साल की थी तभी मेरी शादी हो गई थी।
शादी के दो साल बाद मेरा बेटा पैदा हो गया और उसके होने के 6 महीने बाद मेरे पति का एक एक्सीडेंट में निधन हो गया।
जब मैं विधवा हुई तो मेरी उम्र केवल 22 साल ही थी।
मेरे पति एक सरकारी कर्मचारी थे जिसकी वजह से उनकी नौकरी मुझे मिल गई।
इस समय मैं मेरी सास और मेरा बेटा ही साथ में रहते हैं बाकी की फैमिली हमारे गांव के घर पर रहती है।
जब मैं विधवा हुई तो सभी परिजनों ने मुझसे कहा- तुम दूसरी शादी कर लो.
लेकिन अपने बेटे के भविष्य को देखते हुए मैंने दूसरी शादी करने से मना कर दिया।
और मैं अपने ससुराल में ही रहती हूं।
लेकिन ड्यूटी के कारण शहर में फ्लैट लेकर अपनी सास और बेटे के साथ रह रही हूँ।
कुछ समय तो मैंने अपने पति के बिना काट लिया था और मुझे सेक्स की इच्छा नहीं होती थी।
लेकिन समय के साथ साथ मेरे जिस्म को भी किसी के साथ की जरूरत महसूस होने लगी।
जब मैं घर पर अकेली होती तो मोबाइल पर गर्म विडियो देखकर मेरा मन भी बहक जाता और मुझे अपनी उँगलियों का सहारा लेना पड़ता।
ज़्ज़और मेरी इतनी बुरी आदत हो गई कि रोज रात में मैं क्स्क्स्क्स्क्स्क्स की कहानियां पढ़ती और फिर बाथरूम में जाकर उंगली से अपने आप को शांत करती।
इसी तरह से मैंने सात साल काट लिए।
इसके अलावा मेरे ऑफिस में मेरी कई महिला मित्र भी थी जिनका किसी न किसी मर्द के साथ जिस्मानी रिश्ता था।
उनके द्वारा भी मुझे कई बार सलाह दी गई कि दुनिया से छुपाते हुए किसी मर्द को अपनी जिंदगी में ले आओ.
लेकिन मैं हमेशा ही इसके लिए मना करती रही और कोई वैसा मिला भी नहीं।
मेरे ऑफिस में ही कई मर्दों की नजर मुझ पर थी जो केवल मेरे एक इशारे का इंतजार कर रहे थे।
कई लोग तो मुझसे बात करने का बहाना तलाश करते रहते थे।
लेकिन दोस्तो, मेरी भी एक जिंदगी है, मेरा भी एक परिवार है और मैं चाहती थी कि मेरी वजह से कभी भी मेरे परिवार की बदमानी नहीं हो इसलिए मैं कभी किसी भी मर्द को अपने पास नहीं भटकने देती थी।
ऐसा नहीं है कि मेरी तमन्ना नहीं थी या मुझे सेक्स की जरूरत महसूस नहीं होती थी लेकिन ये सब मैं अपने अंदर दबाए हुए थी।
सात साल तक मैं अपने बदन की गर्मी को ऐसे ही निकालती रही।
फिर मेरी जिंदगी में भी ऐसा कोई आ गया जिसे शायद मेरी वासना ने अपना बना लिया।
हुआ ऐसा था कि मेरा एक सोशल मीडिया एकाउंट है जिसमें मेरे घर परिवार के लोग और मेरे कुछ अच्छे दोस्त जुड़े हुए हैं।
एक रात में जब मैंने अपना सोशल मीडिया एकाउंट खोला तो उसमें एक फ्रेंड रिक्वेस्ट आई हुई थी।
मैंने उनकी प्रोफाइल को ओपन किया और उनके प्रोफाइल को देखने लगी।
उनका नाम अमित कुमार और वो मेरे ही शहर से थे।
उनकी प्रोफाइल अच्छे से देखने के बाद मैंने उन्हें अपने फ्रेंड लिस्ट में शामिल कर लिया।
कुछ दिन बाद उनका एक मैसेज आया और मैंने भी उसका जवाब दिया।
इसके बाद तो ये रोज का काम हो गया एक दूसरे को फोटो वीडियो भेजना और थोड़ी बहुत चैट करना।
धीरे धीरे हमारी चैटिंग लंबी होने लगी और जब मेरी छुट्टी होती तो काफी रात तक हम दोनों चैट करते।
अभी तक हम दोनों ने ही एक दूसरे को देखा नहीं था बस एक दूसरे की फोटो ही देखी थी।
ऐसे ही एक दिन हम दोनों चैट कर रहे थे और उन्होंने मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की।
काफी सोचने के बाद मैंने उन्हें मिलने के लिए हां कह दिया।
रविवार को हम दोनों ही की छुट्टी रहती है और अगले रविवार को हम दोनों ने मिलने का प्लान बनाया।
वो मुझे एक रेस्टोरेंट में मिलने वाले थे।
दोपहर 12 बजे मैं अपने घर से निकली और आटो करके उस रेस्टोरेंट में पहुंच गई।
Reply
#3
वो वहाँ पहले ही पहुंच गए थे और केबिन नंबर 21 में मेरा इंतजार कर रहे थे। वो एक फैमिली केबिन था।

मैं वहां पहुंची और पहली बार हमने एक दूसरे को देखा।
हम दोनों के बीच हाय हैलो हुआ और मैं उनके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई।
वो एक लंबे कद के आदमी थे और देखने से लग रहा था कि वो अपनी सेहत का बहुत ख्याल रखते थे क्योंकि वो काफी हट्टे कट्टे थे।
मैं अपने बारे में आप सभी को बता दूँ कि मेरी लंबाई 5.6 इंच है, मेरा वजन 62 किलो और फिगर 36-32-36 का है।
मेरा रंग बेहद गोरा और आँखें हल्की भूरी।
मेरे बदन का सबसे आकर्षक अंग मेरे दूध हैं जो कि काफी बड़े और तने हुए हैं।
इसके साथ ही मेरे चूतड़ भी काफी बड़े बड़े है जिन्हें देखकर लोग दुबारा मुझे जरूर देखते हैं।
मैं अमित जी के साथ बैठी हुई उसने बात करने लगी।
उनकी उम्र 46 वर्ष है और उनकी भी पत्नी का स्वर्गवास हो चुका था।
उनके 3 बच्चे हैं जो कि उनके साथ ही रहते हैं।
उन्होंने भी अपने बच्चों के लिए दुबारा शादी नहीं की।
मैं उसके साथ वहा करीब दो घंटे तक रही और हम दोनों ने खाना खाया और बात करते रहे।
बाद में उन्होंने मुझे मेरी कालोनी के बाहर तक अपनी कार से छोड़ दिया।
उसके बाद हम दोनों की दोस्ती आगे बढ़ने लगी और और ऐसे ही बाहर मिलने का सिलसिला शुरू हो गया।
अब हम दोनों ने चैटिंग के साथ साथ फोन पर भी बात करना शुरू कर दिया।
करीब 6 महीने तक हम दोनों की दोस्ती ऐसे ही चलती रही।
भले ही अमित जी मुझसे उम्र में बड़े थे लेकिन हम दोनों ही दिल दिल में एक दूसरे से प्यार करने लगे थे।
मगर किसी ने भी एक दूसरे को ये बात नहीं कही थी।
फिर एक दिन जब रात में हम दोनों फोन पर बात कर रहे थे तो अमित जी ने मुझसे अपने प्यार का इजहार किया।
मैंने भी उन्हें निराश नहीं किया और उन्हें हाँ कह दिया।
यह मेरा प्यार था या मेरे जिस्म की वासना थी … मुझे पता नहीं लेकिन उस दिन से मेरे जिस्म में एक अलग तरह से गुदगुदी सी उठने लगी।
जब भी हम दोनों बाहर कहीं पर मिलते थे तब मुझे अपने अंदर से ऐसा लगता था कि अमित जी मुझे अपनी बांहों में भर लें।
लेकिन अमित जी ने कभी भी मेरे विश्वास को नहीं तोड़ा और मेरी प्राइवेसी का पूरा ख्याल रखा।
कभी भी उन्होंने हमारे प्यार के बारे में किसी को भनक तक नहीं लगने दी।
एक बार गर्मी का मौसम शुरू ही हुआ था और मेरे बेटे की गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो गई थी।
मेरी सास ने मुझसे कहा- मैं बेटे को लेकर कुछ दिनों के लिए गांव जाना चाहती हूं।
मैंने भी उन्हें हाँ कह दिया और वो दोनों कुछ दिन में गांव चले गए।
अब मैं घर पर अकेली रह गई थी।
सुबह मैं अपने ऑफिस जाती और शाम को आकर घर पर ही अमित जी से फोन पर बात और चैटिंग करती रहती थी।
एक दिन अमित जी ने मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की.
मैंने उनसे कहा- घर पर कोई नहीं है तो आप घर पर ही मिल लीजिए. मैं अपने हाथ का बना हुआ खाना खिलाऊंगी।
उन्होंने भी इसके लिए हां कह दिया।
दो दिन बाद हमने मिलने का प्लान बनाया।
पता नहीं क्यों लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि हमारे बीच कुछ न कुछ होने वाला है।
और ये सब सोचकर मेरे जिस्म के अंदर एक अलग सी आग लग गई थी।
मैं जानती थी कि अमित जी भी पिछले 10 साल से सेक्स से वंचित हैं और उसके अंदर भी मेरे प्रति कुछ न कुछ चल ही रहा होगा।
हम दोनों ने ही एक दूसरे के प्यार को कुबूल कर लिया था लेकिन अभी तक एक दूसरे को छुआ तक नहीं था।
जिस दिन अमित जी मेरे यहां आने वाले थे उस दिन मैंने सुबह से ही घर का सारा काम कर लिया था।
दोपहर को जब मैं नहाने के लिए गई और बाथरूम में आईने के सामने अपने कपड़े उतारे और ब्रा पेंटी में अपने आप को आईने में देखा तो मेरे हाथ अपने आप ब्रा के ऊपर से ही दूध को सहलाने लगे।
मैंने गौर किया कि मेरे अंडरआर्म के बाल काफी बड़े हो चुके हैं.
और मैंने अपनी पेंटी नीचे उतार कर अपनी चूत को देखा जिसमें इतने बड़े बाल हो गए थे कि मेरी चूत दिखाई भी नहीं दे रही थी।
मैंने वहीं रखी हुई क्रीम ली और अपने सभी जगह के बालों को साफ कर दिया।
अब तो मेरा बदन और मेरी चूत दमक रही थीं।
उस दिन मैं अपने सभी गुप्तांगों को अच्छी तरह से साफ करते हुए नहाई।
शाम को मैंने पनीर की सब्जी और चावल बनाये।
शाम को सात बजे अमित जी आने वाले थे, उससे पहले मैंने एक नीले रंग की साड़ी पहनी और बहुत साल के बाद अच्छे से तैयार हुई।
उस दिन मैं बेहद खूबसूरत लग रही थी और मेरे गोरे बदन पर वो नीली साड़ी कयामत लग रही थी।
जानबूझकर मैंने साड़ी अपने कमर से काफी नीचे बांधी हुई थी जिससे मेरी कमर मेरा पेट और मेरी खूबसूरत नाभि साफ साफ नजर आ रही थी।
मैंने गहरे गले, छोटी चोली का ब्लाउज पहना हुआ था जिसमें से सामने से मेरे दोनों दूध उभर कर सामने आ गए थे और सामने से दूध की लाइन साफ साफ नजर आ रही थी।
ठीक सात बजे अमित जी मेरे यहां आ गए।
काफी देर हम दोनों बातें करते रहे और फिर हम दोनों ने साथ में खाना खाया।
खाना खाने के वक्त अमित जी की नजर मेरे उभरे हुए दूध पर बार बार जा रही थी और जब मैं अपने आंचल को ठीक करती तो गोरे गोरे दूध के उभार साफ साफ नजर आ रहे थे।
इसके साथ ही मेरी कमर और मेरी नाभि पर भी उनकी नजर बार बार जा रही थी।
खाना खाने के बाद हम दोनों टीवी वाले कमरे में बैठकर बातें करने लगे।
रात के 10 कब बज गए पता ही नहीं चला।
अब अमित जी ने घर जाने के लिए मुझसे इजाजत मांगी।
अंदर से मेरा मन थोड़ा दुखी हो गया था कि मैंने जो सोचा था वो नहीं होगा।
उनके घर जाने वाली बात पर मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
पता नहीं उन्होंने क्या सोचा होगा।
फिर वो जाने के लिए खड़े हो गए लेकिन दरवाजे की तरफ नहीं बड़े और खड़े होकर मुझे ही देखते रहे।
हम दोनों खड़े खड़े एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे।
फिर वो हुआ जो मैंने सोचा नहीं था।
अपने स्वभाव के विपरित अमित जी ने मेरा हाथ पकड़ा और एक झटके में मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
इतने दिनों में आजतक अमित जी ने मुझे छुआ तक नहीं था लेकिन आज उनका व्यवहार कुछ अलग था।
मुझे अपनी बांहों में भर कर उन्होंने मेरी आखों में देखते हुए कहा– आज मैंने अपने घर पर झूठ बोला है।
मैं- कैसा झूठ?
अमित जी– मैंने घर पर बताया है कि मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा हूं।
मैं- ऐसा क्यों?
अमित जी– ऐसा इसलिए क्योंकि मैं तुम्हारे साथ कुछ दिन रहना चाहता हूं. क्या तुम मुझे इसकी इजाजत दोगी?
मैंने अपनी नजर नीचे करते हुए कहा- मैं क्यों मना करूंगी. आपका घर है जितने दिन रह सकते हैं आप!
अमित जी– घर तो मेरा अपना है लेकिन क्या घर में रहने वाली भी मेरी है?
Reply
#4
मैं हंसते हुए उनसे छुटने की कोशिश करने लगी और उनसे छूट कर दूर जाने लगी।

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर दुबारा से अपनी बांहों में भर लिया.
वो समझ चुके थे कि मेरी तरफ से हर चीज की इजाजत मिल गई है।
अपनी बांहों में लेकर उन्होंने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर ऊपर उठाया मेरी नजर नीचे की तरफ थी।
पहले उन्होंने अपनी उँगलियों को मेरे गालों पर चलाया और फिर अपने होंठों को मेरे होंठों के करीब लाते चले गए।
जल्द ही उनके होंठ मेरे होंठ से टकरा गए और उन्होंने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।
सालों बाद आज किसी मर्द ने मेरे होंठों को चूमा था.
यह अहसास ऐसा ही लग रहा था जैसे शादी के बाद सुहागरात में मेरे पति ने मुझे चूमा था।
आज सात साल के बाद मैं किसी मर्द की बांहों में आई थी।
मेरे बदन का रोम रोम खड़ा हो गया था और मैं आँखें बंद किए हुए उनकी बांहों में सिमटी जा रही थी।
मैं भी वासना की उस आग में पिघलती चली गई और मेरे भी होंठ चलने शुरू हो गए।
जल्द ही मैं अपनी जीभ निकाल कर उनका साथ देने लगी और वो मेरी जीभ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगे।
जल्द ही मुझे अहसास हुआ कि मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया है और मेरी पेंटी गीली हो रही है।
आज सात साल से सूखी जमीन पर बारिश होने जा रही थी।
काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते रहे और फिर अमित जी मुझसे अलग हुए और मुझे बेडरूम में ले गए।
बेडरूम में लाकर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मुझे चुपचाप खड़ी रहने के लिए कहा।
मैं अपने दोनों हाथ नीचे किए चुपचाप खड़ी रही।
Reply
#5
काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते रहे और फिर अमित जी मुझसे अलग हुए और मुझे बेडरूम में ले गए।

बेडरूम में लाकर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मुझे चुपचाप खड़ी रहने के लिए कहा।
मैं अपने दोनों हाथ नीचे किए चुपचाप खड़ी रही।

सबसे पहले उन्होंने मेरी साड़ी निकालनी शुरू की और जल्द ही मेरी साड़ी निकल गई।

इसके बाद जैसे ही उन्होंने मेरे ब्लाउज का बटन खोलना शुरू किया.
शर्म से मेरी आंखें अपने आप बंद हो गई।
जल्द ही मेरा ब्लाउज भी मेरे जिस्म से अलग हो गया.
इसके बाद उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खीच दिया जिससे पेटीकोट सरक कर नीचे गिर गया।
अब मैं केवल पेंटी और ब्रा में ही खड़ी हुई थी।
इस बीच अमित जी ने भी अपने कपड़े उतार दिए और केवल चड्डी ही बची रह गई।
इसके बाद उन्होंने अपने दोनों हाथों को मेरे पीठ पर लाकर मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया और मेरे बड़े बड़े दूध आजाद होकर उनके सामने तन गए।
मैं शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि मेरे पति के बाद आज दूसरी बार कोई मर्द मुझे नंगी कर रहा था।
अब मैं केवल पेंटी में रह गई थी।
अमित जी ने मेरी पीठ पर अपने दोनों हाथों को रखा और मुझे अपने सीने से लगा लिया।
जैसे ही मेरे दूध अमित जी के सीने से लगे मेरी आह निकल गई।
मेरी पीठ को सहलाते हुए अमित जी मेरे गालों को गले को कान को बेइंतिहा चूमने लगे।
जैसे ही अमित जी ने मुझे जोर से अपने बदन से चिपकाया, मेरी चूत पर कुछ मोटा और गर्म चीज टकराई।
मैं समझ गई कि यह अमित जी का लंड है।
वो चड्डी के अंदर से ही बड़ा भारी भरकम लग रहा था।
मेरे पति का लंड तो केवल 5 इंच का ही था लेकिन इनका लंड उससे कही ज्यादा मोटा और लंबा महसूस हो रहा था।
कुछ देर में ही अमित जी नीचे झुके और मेरे वक्ष पर अपने कठोर हाथ चलाने लगे।
उन्होंने मेरे एक निप्पल को मुंह में भर लिया और चूसने लगे जबकि दूसरे निप्पल को अपनी उँगलियों से मसलने लगे।
मेरे निप्पल मेरे बदन में सबसे उत्तेजक अंग हैं. जब कभी भी मेरे पति मेरे निप्पल चूसते थे तो मैं बेकाबू हो जाती थी।
आज भी वैसा ही कुछ हुआ.
जैसे ही अमित जी ने मेरे निप्पल चूसने शुरू किए, मैं जोर जोर से आहें भरने लगी और अमित जी का सर पकड़कर उसे अपने दूध पर दबाने लगी।
अमित जी भी जोश में आ गए और मेरे निप्पल को किसी बच्चे की तरह चूसने लगे।
वो जोर जोर से मेरे दूध को मसलने लगे और मेरी आह आह आह की आवाज कमरे में गूंजने लगी।
मेरे दूध इतने टाइट थे कि जल्द ही मुझे जलन महसूस होने लगी- बस बस … बस करो … बस करो! आह आह आह बस्स स्सस!
अब अमित जी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और पैरों की तरफ से मुझे चूमना शुरु किया।
जब वो मेरी मोटी मोटी जांघों पर अपने होंठ चला रहे थे, मैं बिस्तर पर मचल उठी।
फिर उन्होंने मेरी नाभि पर अपने होंठ लगा दिए और अपनी जीभ से नाभि को चाटने लगे।
मेरी नाभि काफी गहरी है इसलिए उनकी जीभ काफी अंदर तक जा रही थी।
वो मेरे दूध को कुछ देर मसलने के बाद फिर से नीचे की तरफ बढ़ गए।
अब उन्होंने मेरी पेंटी को अपने हाथों से पकड़ा और उसे नीचे सरकाने लगे।
शर्म के मारे मैंने पेंटी की इलास्टिक को पकड़ ली लेकिन उन्होंने मेरी पेंटी उतार ही दी।
मैं अपने हाथ से अपनी चूत को छुपाने लगी लेकिन उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ कर हटा दिया।
मेरी चूत उनके सामने आ गई।
सबसे पहले वो मेरी चूत की मादक गंध को सूंघने लगे।
फिर उन्होंने मेरी दोनों टांगों को फैला दिया।
अब अपने हाथ से चूत को फैलाते हुए अपनी जीभ उसमें चलाने लगे।
उनके ऐसा करने से मेरी कमर और चूतड़ ऊपर नीचे उछलने लगी।
उस वक्त मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था।
वो चूत में अपनी जीभ अंदर तक डाल रहे थे और चूत के दाने को जोर जोर से चूस रहे थे।
मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ था और मेरी दोनों टांगें काम्पने लगी।
वो अपने दांतों से मेरी चूत की चमड़ी को हल्के हल्के काट रहे थे जिससे कि मेरे पूरे बदन में सिहरन दौड़ रही थी।
मैं भले ही सात साल से अपनी प्यास उंगली करके बुझा लेती थीं लेकिन ऐसा मजा तो एक मर्द ही दे सकता है।
एक मर्द के बिना औरत अधूरी ही रहती है।
कुछ देर बाद जब हम दोनों पूरी तरह से गर्म हो गए.
तब अमित जी मेरी चूत को छोड़कर उठे और अपनी चड्डी उतार दी।
मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी।
बाप रे बाप … लगभग आठ इंच लंबा और बेहद ही मोटा काला सा उनका लंड देख मैं सोचने लगी कि आज मेरी चूत का क्या हाल होगा?
यह तो मेरी सोच से कही ज्यादा बड़ा लंड है।
जल्द ही अमित जी मेरे ऊपर आ गए और मेरे पैरों को फैला दिया।
उनका लंड अब मेरी चूत को सहलाने लगा।
Reply
#6
अमित जी ने मुझे कहा- तैयार हो न?

मैं– जी … लेकिन आराम से डालना।
अमित जी- उसकी तुम बिल्कुल चिंता न करो।
अब उन्होंने मेरी जांघों को अपने हाथों में फंसा कर फैला लिया, मेरी दोनों टांगें हवा में उठ गई।
उन्होंने बिना पकड़े लंड को चूत में लगाया और डालने लगे।
उनका सुपारा मेरी चूत को फैलात हुए अंदर की तरफ जाने लगा।
इतने साल के बाद इतना मोटा लंड मेरी चूत में जैसे ही घुसा, मेरी आवाज निकल गई- मम्मीईई ईईई ईई उईई ईइआ आआआह! आराम से आआ आह्ह मम्मी!
अमित जी ने मुझे अपने नीचे दबा लिया और एक जोर से धक्का लगा दिया।
लंड दनदनाता हुआ चूत के आखरी छोर तक पहुंच गया।
कुछ देर वो लंड को अंदर ही डाल कर मेरे ऊपर लेटे रहे और मैं दर्द से मचलती रही।
उनका लंड वास्तव में काफी मोटा था और मेरी चूत से इतना चिपका हुआ था कि हवा भी पास नहीं होती।
कुछ देर बाद मुझे आराम मिला और उन्होंने कहा- सच में कहूं … तुम्हारी चूत अंदर से भट्टी की तरह गर्म है यार!
वो दस साल बाद किसी को चोद रहे थे और मैं सात साल बाद किसी से चुदवा रही थी।
हम दोनों के अंदर ही पूरा जोश और गर्मी भरी हुई थी।
अब अमित जी ने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
उनकी रफ्तार धीरे धीरे तेज होने लगी और मेरी आवाज कमरे में गूंजने लगी- आह्ह आह्ह्ह मम्मीई आआ आह्ह ह्ह आउच आह अह ओह ओह ओह!
जल्द ही वो पूरी ताकत से मुझे चोदने लगे।
मैं उनसे लिपटी जा रही थी और उन्हें चूमे जा रही थी।
दोनों हाथ से मैंने उनकी कमर पकड़ ली थी और खुद ही कमर को आगे पीछे करने लगी थी।
वो समझ रहे थे कि मुझे और तेज झटके चाहिए और वो अपनी पूरी ताकत लगा कर धक्के लगाने लगे।
पूरे कमरे में चट चट चट चट की आवाज के साथ आह आह आह ओह ओह आह्ह की आवाज गूंज रही थी।
करीब पांच मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद ही हम दोनों अपने आप को रोक नहीं सके और दोनों ही झड़ गए।
मेरी चूत उनके पानी से लबालब भर गई थी।
हम दोनों ही पसीने पसीने हो गए और लिपट कर लेटे रहे।
दोनों की सांसें तेजी से चल रही थीं दोनों ही मस्त हो गए थे।
कुछ देर बाद वो मेरे ऊपर से हटे और बगल में लेट गए।
मेरी दोनों जांघें बिल्कुल लाल हो गई थी क्योंकि उन्होंने जांघ को हाथ से जोर से दबाया हुआ था।
चूत से उनका गर्म पानी बाहर निकल रहा था।
आज इतने सालों के बाद किसी का गर्म गर्म वीर्य मेरी चूत में गिरा था. आज मैं पूरी तरह से संतुष्ट हुई थीं और अमित जी का भी पूरा साथ दिया था जिससे वो भी मुझसे पूरी तरह से संतुष्ट हो गए थे।
एक बार चुदाई करने के बाद हम दोनों लोग बिस्तर पर लेटे हुए थे, हम दोनों ही ने पहली चुदाई में ही एक दूसरे को संतुष्ट कर दिया था।
करीब आधे घंटे तक हम दोनों लेटे रहे।
इसके बाद अमित जी ने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर लिटा लिया।
मैं उनके सीने पर अपना सर रख कर लेटी रही.
तभी अमित जी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड के पास लेजाकर अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया।
मैंने भी उनका लंड हाथ में थाम लिया और उसे आगे पीछे करते हुए फेंटने लगी।
उनका ढीला पड़ चुका लंड जल्द ही अपनी पूरी लंबाई में आ गया।
अब मैं उनके सीने को चूमते हुए नीचे की तरफ जाने लगी और जल्द ही उनके लंड के पास पहुंच गई।
मैं उनके लंड को पकड़ कर हल्के हल्के ऊपर नीचे करने लगी जिससे उनका सुपारा अन्दर बाहर होने लगा.
जिसे देखकर मैं भी गर्म होने लगी।
मैं लंड के और करीब चली गई, लंड से बेहद ही मादक गंध आ रही थीं जिससे मैं और भी उत्तेजित हो गई।
फिर मैं अपना मुंह उनके सुपारे पर चलाने लगी और जल्द ही सुपारे को अपने मुंह में भरकर प्यार से चूसने लगी।
इधर अमित जी मेरी पीठ पर अपने हाथ फिराते हुए मेरी गांड तक ले गए और गांड को सहलाने लगे।
काफी देर तक मैं उनके लंड को चूसती रही।
फिर अनिल जी खड़े हुए, मुझे घोड़ी बना दिया और वो मेरी गांड की तरफ आ गए।
मेरे बड़े बड़े चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ कर लंड चूत में लगाया और एक झटके में अंदर तक डाल दिया।
मैं तेजी से बोली- आह्ह ह मम्मीई ईईईई ईईई … आराम से डालिए।
फिर उन्होंने मुझे चोदना शुरू कर दिया और फट फट फट की आवाज के साथ मुझे जोर जोर से चोदने लगे।
वो इतनी जोर से धक्का लगा रहे थे कि मैं आगे की तरफ खिसक जा रही थी. उन्होंने मेरी कमर को जोर से जकड़ लिया और दनादन मेरी गांड पर उनके धक्के पड़ने लगे।
कुछ देर इसी पोजीशन में चोदने के बाद उन्होंने मुझे बिस्तर से नीचे उतार लिया और मुझे खड़ा करके मेरे पीछे आ गए.
खड़े खड़े मेरे पीछे से उन्होंने चूत में लंड डाल दिया और मेरे पेट को दोनों हाथों से थाम लिया और इसी पोजीशन में चुदाई शुरू कर दी।
मुझे भी बेहद मजा आ रहा था और मैं उस पल का बहुत मजा कर रही थी।
कुछ देर के बाद हम दोनों झड़ गए।
यह चुदाई पहली चुदाई से ज्यादा देर तक चली।
उस रात एक बार और हम दोनों के बीच चुदाई हुई, फिर हम दोनों लोग सो गए।
सुबह उठने के बाद दोनों फ्रेश हुए और दिन भर अमित जी मेरे कमरे में ही रहे।
दिन में हमारे बीच कुछ भी नहीं हुआ।
इस बीच हमारी पड़ोसन भी मेरे घर आई लेकिन अनिल जी मेरे कमरे में ही रहे और किसी को कुछ पता नहीं चला।
फिर रात होते ही मैंने घर का दरवाजा बंद किया और रात दस बजे से एक बार फिर से हमारे बीच चुदाई शुरू हो गई।
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