बाद में मैं घर भी मिठाई का डिब्बा लेकर पहुंचा. चाची मेरी इस सफलता से सबसे ज़्यादा खुश लग रही थीं. वे मुझे देखते ही झट से मेरे गले से लग गईं.
चाची खुश होते हुए बोली- बधाई.
पहली बार चाची ने मुझे गले से लगाया था. बल्कि यूं कहूँ कि आज पहली बार किसी औरत ने मुझे गले से लगाया था.
चाची- मैं तुम्हारी कामयाबी से बहुत खुश हूं … मेरे घर में रहकर इतने अच्छे अंक लाए हो. बताओ मेरी मिठाई कहां है … मेरे लिए लाया भी या नहीं?
मैं- चाची आपको मिठाई कैसे न दूँ. आपके लिए तो पूरा डिब्बा लेकर आया हूँ.
मैंने मिठाई का डिब्बा खोल कर चाची को अपने हाथों से मिठाई खिलाई.
चाची ने भी मुझे मिठाई खिलाई और मेरे गाल पर किस कर लिया. मैं चाची के इस किस से एकदम चौंक गया. लेकिन मैं कुछ कर नहीं पाया, क्योंकि मैं अभी उन्हें किस का जबाव देने लायक स्थिति में नहीं था.
चाची- आगे क्या प्लान बनाया है?
मैं- अब तो आगे की पढ़ाई के लिए बैंगलोर जाने का सोचा है.
चाची- यदि तुम वहां चले जाओगे, तो तुम्हारी चाची तो बोर हो जाएगी.
मैं- लेकिन अब उधर तो जाना ही पड़ेगा, यहां अच्छे कॉलेज नहीं है.
चाची- ठीक है, अच्छे से पढ़ लेना … लेकिन कभी कभी यहां भी आ जाया करो.
मैंने उनसे हामी भर दी. मुझे चाची के घर से जाना बहुत कठिन लग रहा था, मेरा मन काफी उदास था.
फिर मेरा बैंगलोर जाने का हुआ, वो पल मेरे लिए बहुत कठिन था. मैं चाची का साथ छोड़ कर बैंगलोर जा रहा था.
खैर … मैं बैंगलोर चला गया. उधर 2 साल मैंने बहुत एन्जॉय किया, लेकिन अभी भी मुझे चाची की बहुत याद आती थी. कुछ दिनों बाद मैं छुट्टियों में अपने घर आ रहा था. मैं घर गया और सबसे मिल कर खूब बात की. इसके बाद मैं पास वाले टाउन में चाची के घर के लिए निकल गया.
उनसे मिले बिना मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मैं चाची के घर पहुंचा और दरवाजे की घंटी बजाई.
चाची की आवाज आई- कौन है?
मैं समझ गया कि ये आवाज बाथरूम से आ रही थी.
मैं- मैं जीशान हूँ चाची.
चाची- अरे जीशान बेटा कब आए … रुको आ रही हूँ.
चाची नहाने के बीच में से ही उठ कर दरवाजा खोलने आईं, वे पेटीकोट को अपने स्तनों तक चढ़ा कर आई थीं. उन्होंने थोड़ा सा दरवाजा खोला और मुझे जल्दी से अन्दर आने को कहा.
मैं- अरे चाची आप नहा रही थीं. मैं बोल देतीं. मैं इन्तजार कर लेता, इतनी भी जल्दी नहीं थी.
चाची- अरे कोई बात नहीं … तुम बैठो, मैं अभी नहा कर आती हूँ.
चाची ये बोल कर बाथरूम में चली गईं और जाते वक्त जल्दबाज़ी में या पता नहीं जानबूझ कर उन्होंने बाथरूम के दरवाजे को बंद नहीं किया. चाची को इस तरह एक पेटीकोट में देख कर वैसे ही मेरा मन खराब हो गया था. मैं जानबूझ कर बाथरूम के सामने ही बैठ गया. और चाची से बात करने लगा.
मैं- और चाची … बच्चे कहां हैं और चाचा कहाँ हैं?
चाची- छुट्टियां हैं ना, बच्चे अपने मामा के घर गए हैं … और तुम्हारे चाचा अपने काम से निकले हुए हैं.
मैं- आपसे बात किए हुए करीब एक साल हो गया चाची … मुझे आपकी बहुत याद आती रही. आई मिस यू चाची.
चाची- क्या बात है … तू तो चाची को मिस करने लगा. कोई गर्लफ्रेंड नहीं मिली बैंगलोर में?
मैं- गर्लफ्रेंड की अपनी जगह … चाची की जगह कोई नहीं ले सकता.
चाची- अरे वाह … तू तो शायर भी बन गया … पूरा जवान हो गया है तू.
अचानक चाची चिल्ला दीं. बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं था, तो मैं अन्दर घुस गया.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
चाची कॉकरोच की तरफ अपनी उंगली को दिखाने लगीं.
मैं- अरे चाची इतनी सी छोटी चीज़ के लिए इतना घबरा गईं.
मैंने उस कॉकरोच को मार दिया और वहीं खिड़की से बाहर फेंक दिया. तभी मेरी नज़र चाची पर गयी. चाची सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं. आह … क्या बताऊं, चाची बिल्कुल बदल गयी थीं … उनके मम्मे और बड़े हो गए थे. चाची और बड़ी मस्त माल बन गई थीं. उनके मम्मे 36 इंच के हो गए थे, कमर 32 और गांड 38 इंच की हो गयी थी. मुझसे रहा नहीं गया … मैं बस उनकी जवानी को देखते ही रह गया.
चाची ने मेरी वासना भरी आँखों को पढ़ लिया था. जब उन्होंने कुछ नहीं कहा, तो मैंने आगे बढ़ कर चाची को हग कर लिया. चाची के मम्मों को मैं उनकी ब्रा के ऊपर से छू रहा था.
चाची मुझ पर गुस्सा करने लगीं- अरे ये क्या कर रहे हो जीशान? छोड़ो मुझे.
मैं- आप बहुत खूबसूरत हो चाची, मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ.
ये बोलते बोलते मैं उनको किस करने लगा और एक हाथ से उनके मम्मे दबाने लगा.
चाची- ये सब गलत है बेटा … छोड़ दो मुझे. अपनी चाची के साथ कोई भला ऐसे करता है. प्लीज मुझे छोड़ दो न.
मैं- प्यार और सेक्स के बीच कोई रिश्ते नहीं होते हैं चाची … आई लव यू.
मैंने ये कहते हुए धीरे से चाची की ब्रा को खोल कर निकाल दिया.
चाची एक नाकाम कोशिश के बाद चुप हो गईं.
कुछ देर बाद चाची- अरे कोई देख लेगा … किसी को पता चल गया, तो क्या होगा.